शनिवार, 15 अगस्त 2015

भारत के दिल में पश्चिम निमाड़ (खरगोन ) की माटी पर एक गाव बसा है गाव तो छोटा है पर नाम बड़ी कोठा है उसी गाव का में एक छोटा सा दाना हूँ और और जितु खेड़े के नाम से जाता 

शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

सोचता हूँ  तुम्हे किन्ही शब्दों से श्रंगारित करू
पर तुम ही बताओ किन शब्दों श्रंगारित करू
हर शब्द की एक सीमा होती है
मेरी भावनाओ में कद तुम्हारा अतुलनीय है
तुम ही बताओ किन शब्दों से श्रंगारित करू
डरता हूँ मेरे किसी शब्द से तुम्हे सिकवा न हो जाये
जो शब्द अभी मूक है कही रुसवा न हो जाये
तुम ही बताओ भाव दिल के कैसे तुम्हे समर्पित करू 

मंगलवार, 7 जून 2011

कुछ अजनबी अपने हुए
अपनों से जब दुखी हुए
काँटों से घिर कर
खुद महफूज हुए
फूलो से घेर कर
घायल हुए

बुधवार, 8 दिसंबर 2010

कुछ भी नहीं थमता
सब चलता रहता है
सब बदलता रहता है
वक्त और हालातो
के साथ खुद को बदलो
या हालत और वक्त को
बदल दो
वर्ना बदलाव बड़ा भयानक
होगा
जो तय है वह हादसा होगा

शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

खरगोन जिले के उन थाना अंतर्गत ग्राम जमोटी में एक दलित लड़के ने ग्राम की ही ब्राहमण लड़की के साथ मंदीर में जाकर सदी कर ली है दोनों ने नोटरी के समक्ष सपथ पात्र भी बनाया और गायब हो गए दोनों बालिग है ये सपथ पत्र तस्दीक करने वाले नोटरी के समक्ष अपने स्कूली रिकार्ड भी पेस किया है बावजूद इसके थाना क्षेत्र के थानेदार द्वारा ग्राम के सवर्ण लोगो के दबाव में आकर दलित लड़के के परिजनों को बिना रिकार्ड के ठाणे में दो दीं बंद रखा और लड़के के माता पीता को डरा धमका रहा है की दो दीं में लड़की नहीं आई तो तुम्हारी खैर नहीं गव के दलित समाज सवर्णों के खोफ से गाव में नहीं जा रहा है पुलिस के आला अधिकारी भी उनको सरक्षण नहीं दे रहे है और मिडिया भी जातिवादी मानसिकता के चलते दलित समाज पीड़ा को इमानदारी से नहीं उठा रहा है

शनिवार, 21 अगस्त 2010

जिंदगी को नया आयाम दो

मुरादो को फिर जीवन दान दो

पतझड़ से मत हो उदास

जज्बातों को उफान दो

सच है हलाहल है सागर में

पर अमृत भी है सागर मंथन में

मै सागर तुम बनो मौज

खुद को मुझ में उतार दो

करो दफ़न नाउम्मीदी

भटक कर विरानो में

न बुझाओ आशाओं की बत्ती

ख्वाबो को असमान दो

शनिवार, 14 अगस्त 2010

बरसो से मानते आए

आज़ादी की ख़ुशी

आज भी आज़ादी की ख़ुशी है

फिर भी मेरे भारत को

आज़ादी की तिश्नगी है

जिन्दा लोगो का तो मौल नहीं

मुआवजे के रूप में लासे बिकी है

kank तो हो गए वतन