शनिवार, 14 अगस्त 2010

बरसो से मानते आए

आज़ादी की ख़ुशी

आज भी आज़ादी की ख़ुशी है

फिर भी मेरे भारत को

आज़ादी की तिश्नगी है

जिन्दा लोगो का तो मौल नहीं

मुआवजे के रूप में लासे बिकी है

kank तो हो गए वतन

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