सागर से उठता धुआं
बुधवार, 8 दिसंबर 2010
कुछ भी नहीं थमता
सब चलता रहता है
सब बदलता रहता है
वक्त और हालातो
के साथ खुद को बदलो
या हालत और वक्त को
बदल दो
वर्ना बदलाव बड़ा भयानक
होगा
जो तय है वह हादसा होगा
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