शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

खरगोन जिले के उन थाना अंतर्गत ग्राम जमोटी में एक दलित लड़के ने ग्राम की ही ब्राहमण लड़की के साथ मंदीर में जाकर सदी कर ली है दोनों ने नोटरी के समक्ष सपथ पात्र भी बनाया और गायब हो गए दोनों बालिग है ये सपथ पत्र तस्दीक करने वाले नोटरी के समक्ष अपने स्कूली रिकार्ड भी पेस किया है बावजूद इसके थाना क्षेत्र के थानेदार द्वारा ग्राम के सवर्ण लोगो के दबाव में आकर दलित लड़के के परिजनों को बिना रिकार्ड के ठाणे में दो दीं बंद रखा और लड़के के माता पीता को डरा धमका रहा है की दो दीं में लड़की नहीं आई तो तुम्हारी खैर नहीं गव के दलित समाज सवर्णों के खोफ से गाव में नहीं जा रहा है पुलिस के आला अधिकारी भी उनको सरक्षण नहीं दे रहे है और मिडिया भी जातिवादी मानसिकता के चलते दलित समाज पीड़ा को इमानदारी से नहीं उठा रहा है

शनिवार, 21 अगस्त 2010

जिंदगी को नया आयाम दो

मुरादो को फिर जीवन दान दो

पतझड़ से मत हो उदास

जज्बातों को उफान दो

सच है हलाहल है सागर में

पर अमृत भी है सागर मंथन में

मै सागर तुम बनो मौज

खुद को मुझ में उतार दो

करो दफ़न नाउम्मीदी

भटक कर विरानो में

न बुझाओ आशाओं की बत्ती

ख्वाबो को असमान दो

शनिवार, 14 अगस्त 2010

बरसो से मानते आए

आज़ादी की ख़ुशी

आज भी आज़ादी की ख़ुशी है

फिर भी मेरे भारत को

आज़ादी की तिश्नगी है

जिन्दा लोगो का तो मौल नहीं

मुआवजे के रूप में लासे बिकी है

kank तो हो गए वतन

६४ सालो से यही मिला है आश्वाशन

पिछली बार भी लाल किले से दिया था

यही भाषण

महंगाई को काबू किया जाये गा

पर वो घटी नहीं गरीबो का घाट गया

राशन

बड़े महान हो मनमोहन जी

सरकार आप की है महान

भूक से मरे लोग

बजाय कर दो एक नेक काम

जहर पर देदो अनुदान

बुधवार, 11 अगस्त 2010

धरती क्या ,गगन क्या ,अमन क्या होता है
अब समझ गया ,तब मै पुष्प था
न समझा था चमन क्या होता है
अकड क्या ,शहर क्या ,जग क्या होता है
अब मै मनुज हूँ समझ गया मनुज क्या होता है
अपनी जिद और बचपन से मिलकर
tanaaw mukt umango के संग खेलता था
अपनत्व ,ममत्व की मिश्रित पवन में
पतंग सा लहराता था
पर आज में अपने ही अक्स से घबराता हूँ
लोग कहते है अब में बड़ा हो गया हूँ
जिंदगी को फूलो से महका दिया
रेगिस्तान में प्रीत का झरना बहा दिया
हर संग तू हमारे ख्वाब सा
चाँद सितारों की करू क्यू तमन्ना
तुमने चांदनी रत का मुझे अम्बर
बना दिया
आदमी तूने आदमी से
इंसान बनने में कितना
वक्त लगाया है
पर आफसोस तू इन्सान
नहीं बन पाया है
क्या माल है क्या पिस है
अपनी बहन बेटी के
लीए औरो को नाम सुजया है
अरे वो वासना के पिपासु
क्यू तू इंसान नहीं बन पाया है

सोमवार, 9 अगस्त 2010

दे नाम भी राज द्रोही
कोई परवाह नहीं
मेरी कविता पर
न मिले वाह-वाह
कोई परवाह नहीं
सरहद के पार है जो
इस पार भी वही हालत है
यहाँ हिन्दू मुस्लिम
वहा सिया सुन्नी
यहाँ कहे घुस पेठिये
वहा काफ़िर है
ये फकत सियासती तकरीर है
जिस दिन तुम मनाओ
उसी दिन हमारा भी
आज़ादी का जश्न है
पर कायम एक प्रश्न है
कौम मजहब और जुबान
का फसाद
इधर भी वही विवाद
खीच रहा जो नफ़रत की लकीर है
हमारे हुक्मरान उसी के वजीर है
झूट नहीं हकीक़त को लिखा है
साजिशो का निजाम अमेरिका है
गोला बारूद मिसाईले उसकी तिजारत
हमारे अमन से उसकी अदावत
पर सरहदों को अब दिलो से paat दो
उसकी मिसाइलो को उसी की और मोड़ दो

शनिवार, 7 अगस्त 2010

इंतज़ार करते करते आंखे पथरा गई
लगता है तकदीर ही ठुकरा गई
हम पानी के लिए तरसते रहे
बदरिया समन्दर में बरस गई
एक दास्ताँ है एक आफ्साना है
जो मीलो दूर बैठा है
उसे अब तक देखा नहीं
पर लगता मेरा अपना है
कितने भोले कितने मासूम
कितने खुश मिजाज हो तुम
नमाजियों की दुआ का
अल्फाज हो तुम
तुम, तुम हो तुम से न पहले था कोई
न होगा तुम्हारे बाद
भावनाओं का इन्कलाब हो तुम
हमारा अब जीना मरने के लीए
अगले जन्म का ख्वाब हो तुम
न पाकर भी पा लिया
न मील कर भी मिल लिया
कितना अनोखा अहसास हो तुम
देते है दुनिया वाले दुहाई
हमारे इमां की
डिगा दिया किसी ने
कुछ तो खूबी होगी
उस इंसान की
हमारे वसूल हमारे सिद्दांत
हमारी शान थी
रहने दी न परवाह जिसने अंजाम की
कुछ तो खूबी होगी उस इंसान की
जो हमारे खयालो में छा गए
जूनून की तरह
उनकी आवाज़ बजती है
सरगमी धुन की तरह
आँखों में हसरत जगी
जिनके दीद के रसपान की
कुछ तो खूबी होगी उस इंसान की

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जिन्दगी हर मोर्चे पर
जूझती है
जिंदगी हर मोर्चे पर
लड़ती है
किसी मोर्चे पर जिंदगी
जीत भी जाती है
फिर जीत को कायम रखने को
जिंदगी डटे रहती है
हर चुनौती से भीडाना
जिंदगी का सबूत है
कभी वेदना कभी संवेदना
के आंसू टपकना
जिन्दगी का सबूत है
लक्ष्य पाकर लक्ष्य हिन्
हो जाना जिंदगी को
मंजूर नहीं
हार कर बैठ जाना
जिंदगी का सबूत नहीं
फूलो की ताजगी व्यक्तित्व में सादगी
बोली एसी जैसी पपीहा का गीत हो
देह में पाकीजगी आँखों में दीवानगी
आवाज एसे जैसे तानसेन का संगीत हो
न चाह कर भी
चाहे जाते है
भूल कर भी
भुला नहीं पते है
जर्फे जफा करते है वे
हम मोहब्बत किये जाते है
जमाना कहता है
ठीक नहीं यह गुस्ताखी
हम है की जमाने
बगावत किये जाते है
गोदाम है पास हमारे रसद का
फिर भी फाकाकशी में जिए जाते है
आँखों में प्यास उनकी दीद की फकत
वो है की फासलों से सोहबत किये जाते है
जख्म देना हो जिनकी फितरत
उनसे बेकार है मरहम की हसरत
जिन आँखों में ख्वाब हो देखना मय्यत
वहां जिंदगी का पनपना होगा अचरज
शब्दों में अभाव है
,मेरे दिल के भाव कहने का
तेरी आँखों में भी अभाव है
,मेरे घाव देखने का
आरमान तो है मेरा
तेरे रह गुजर में बसने का
बता क्यू मन बना लिया फुल
किसी गुलसन के बनने का
दुनिया में अनोखा मेरा भारत
दोस्ती का सबब है मेरा भारत
प्रेम और स्नेह की नदिया
अपने अन्दर समां लेता है
ममता का समंदर है मेरा भारत
हमें पाता है
तुम्हे हमारी
ख़ुशी से है अदावत
हमारी ख़ुशी इसी में
की हो जाए कत्ल भी हमारी
ख़ुशी का गर तुम्हे
इशी ख़ुशी की है हसरत
हमें पाता है
हमारी हर ख्वाइश से
तुम्हारी है बगावत
हमारी यही ख्वाइश
तुम्हे वही नजारा मिले
जिस नज़ारे की तुम्हे हो चाहत
चाहे वो हो हमारी मय्यत
देखते है हम ख्वाब
ले तुम्हारा हर आरमान अंजाम
काश तुम समझ पाते पयाम
लफ्ज नहीं जज्बातों की है
है हकीकत
मेरी मन्नत के खिलाफ मांगना
नहीं कोई मन्नत